Thursday, September 22, 2011

जेट लैग क्या है?

जेट लैग क्या है? 
प्रेम जी 
premdhamu.bkn@gmail.com>





जेट लैग एक मनो-शारीरिक दशा है, जो शरीर के सर्केडियन रिद्म में बदलाव आने के कारण पैदा होती है। इसे सर्केडियन रिद्म स्लीप डिसॉर्डर भी कहते हैं। इसका कारण लम्बी दूरी की हवाई यात्रा खासतौर से पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन की यात्रा होती है। अक्सर शुरुआत में नाइट शिफ्ट पर काम करने आए लोगों के साथ भी ऐसा होता है। आपका सामान्य जीवन एक खास समय के साथ जुड़ा होता है। जब उसमें मूलभूत बदलाव होता है तो शरीर कुछ समय के लिए सामंजस्य नहीं बैठा पाता। अक्सर दो-एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती है। इसमें सिर दर्द, चक्कर आना, उनींदा रहना, थकान जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है।


आरटीआई क्या है और कैसे काम करता है?
राजेश शुक्ला, प्रतापगढ़(राजस्थान)
rajeshukla1987@yahoo.in

आरटीआई का अर्थ है राइट टु इनफॉर्मेशन। यानी जानकारी पाने का अधिकार। लोकतांत्रिक पद्धति में यह एक नागरिक का बुनियादी अधिकार है कि वह जाने कि सार्वजनिक जीवन में जो जानने योग्य है उसकी जानकारी उसे हो। मसलन यदि आपको अपनी राजनैतिक-प्रशासनिक या जीवन के अन्य विषयों की जानकारी नहीं है तब आप अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कैसे कर सकेंगे। यही नहीं वह यह भी पता लगा सकेंगे कि व्यवस्था किस तरीके से काम कर रही है। दुनियाभर के देशों में या तो नागरिकों के पास इस प्रकार के अधिकार हैं या वे प्राप्त कर रहे हैं।

भारत में संसद ने 15 जून 2005 को इस आशय का कानून पास किया, जो 13 अक्टूबर 2005 से प्रभावी हुआ। देश भर में लागू होने के पहले तमिलनाडु(1997), गोवा(1997), कर्नाटक(2000), दिल्ली(2001), महाराष्ट्र(2002), असम (2002), मध्य प्रदेश (2003) और जम्मू-कश्मीर(2004) में ऐसे कानून बन चुके थे। पूरे देश में 2005 का कानून लागू है। जम्मू-कश्मीर के लिए अलग व्यवस्था है, जिसके लिए कानून में 2009 में संशोधन किए गए हैं। सूचना का अधिकार 2005 प्रत्येक नागरिक को शक्ति प्रदान करता है कि वह: सरकार से कुछ भी पूछे या कोई भी सूचना मांगे। किसी भी सरकारी निर्णय की प्रति ले। किसी भी सरकारी दस्तावेज का निरीक्षण करे। किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करे। किसी भी सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले।

सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?

प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) का पद दिया गया है। आपको अपनी अर्जी इनके पास दाखिल करनी होती है। यह उनका उत्तरदायित्व होता है कि वे उस विभाग के विभिन्न भागों से आपके द्वारा मांगी गयी जानकारी इकठ्ठा करें व आपको प्रदान करें। कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर सेवायोजित किया गया है। उनका कार्य केवल जनता से अर्जियां स्वीकारना व उचित पीआईओ के पास भेजना है। एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 8 में दिए गए हैं। इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना। विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि. सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गयी है जिन पर ये लागू नहीं होता. हालांकि उन्हें भी वो सूचनाएं देनी होंगी जो भ्रष्टाचार के आरोपों व मानवाधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित हों।

आप अपनी अर्जी पीआईओ या एपीआईओ के पास जमा कर सकते हैं। केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है। इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं। वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे। एक अर्ज़ी फीस होती है। केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है। हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं। सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है। यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है। इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है। निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी। यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है। प्रत्येक राज्य के लिए, सम्बंधित राज्य के अलग नियम हैं।


यूरेका (ऑटोमेटेड साइंटिस्ट सॉफ्टवेयर) किसने बनाया है? इस सॉफ्टवेयर को इंटरनेट से कैसे डाउनलोड कर सकते है?
आयुष जैन (पोखरणा), विजयनगर (अजमेर)
jazz.jain4@gmail.com

आपका आशय शायद इंटर-एक्टिव थ्री-डी एजुकेशनल सॉफ्टवेयर से है। इसका उद्देश्य इनफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेकनॉलजीस का इस्तेमाल शिक्षा में करना है। इस प्रकार की शैक्षिक सामग्री में ग्रैफिक डिजाइनों के मार्फत बेहद जटिल बातों को आसानी से समझाया जा सकता है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप इस वैबसाइट पर जाएं http://www.designmate.com/index.html


शीतयुद्ध के बारे में बताएं
नितेश पंचाल, 
parmarniteshkumar@gmail.com




शीतयुद्ध सन 1946 से 1991 के बीच की वैश्विक राजनाति में पश्चिमी देशों और रूसी खेमे के बीच की तनातनी को कहते हैं। हालांकि इसमें रूस और अमेरिका के बीच कभी कोई सीधा युद्ध नहीं हुआ, पर परोक्ष रूप से टकराव चलता रहा। हालांकि द्वितीय विश्वयुद्ध में नाज़ी जर्मनी के खिलाफ दोनों पक्ष एक साथ लड़े थे, पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ ने अपनी पूर्वी सीमा पर पूर्वी यूरोप के देशों के साथ मिलकर ईस्टर्न ब्लॉक बना लिया। इस दौरान रूसी खेमे ने वॉरसा पैक्ट के तहत फौजी संगठन बनाया और अमेरिका ने यूरोप में नेटो(नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन) बनाया। अमेरिका ने मार्शल प्लान के तहत यूरोप में अपने समर्थक देशों के आर्थिक विकास में मदद दी। रूसी खेमा इस मामले में सफल नहीं हो पाया। इस दौरान बर्लिन ब्लॉकेड, कोरिया युद्ध, वियतनाम युद्ध, क्यूबा में मिसाइलों की तैनाती से युद्ध के आसार बने अफगानिस्तान में रूसी हस्तक्षेप से हालात बिगड़े। अंततः 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद शीतयुद्ध शब्द अतीत की बात हो गया।


राजस्थान पत्रिका के कॉलम मी नेक्स्ट में प्रकाशित

अब्राहम लिंकन के बारे में बताएं। 
दिलावर हुसैन कादरी, मेहराबाद, जैसलमेर 


अब्राहम लिंकन संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 1861 से 1865 तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। अब्राहम लिंकन (12 फरवरी, 1809 -15 अप्रेल 1865) अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति थे। उन्होने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट- संवैधानिक, फौजी गृहयुद्ध और नैतिक संकट से पार लगाया। अमेरिका में दास प्रथा के अंत के लिए संविधान के 13 वें संशोधन का श्रेय लिंकन को ही जाता है। एक गरीब परिवार में जन्मे लिंकन को शिक्षा जीवन की राहों में मिली। वे पहले वकील बने, फिर इलिनॉय राज्य में विधायक और अमेरिका की संसद में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य भी बने। सन 1860 में उन्हें रिपब्लिकन पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाया। 1861 में दक्षिण के दो राज्यों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। उनका सारा ध्यान देश की अखंडता बनाए रखने में लगा रहा। वे प्रथम रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति बने। वे दो बार सीनेट के चुनाव में असफल भी हुए।

प्रायः अपने परिवार से दूर रहे लिंकन एक जिम्मेदार पति और चार बच्चों के पिता थे। अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान उन्होंने कभी चरमपंथी विचारों का समर्थन नहीं किया। इस मध्यमार्गी धारणा के कारण उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या भी काफी बड़ी थी। इस युद्ध में कॉण्फेडरेट कमांडिंग जनरल रॉबर्ट ई ली के समर्पण के छह दिन बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। यह हत्या कॉण्फेडरेट समर्थक जॉन विल्कीस बूथ ने की। अमेरिकी में किसी राष्ट्रपति की यह पहली हत्या थी। लिंकन को देश के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपतियों में गिना जाता है।

लिंकन का जीवन सादगी से भरा था। और बचपन अभावों में बीता। कभी नाव चलाकर, तो कभी लकड़ी काटकर वे जीविका चलाते थे। उन्हें महापुरुषों की जीवनी पढ़ना पसंद था। किताब खरीदकर पढ़ना उनके लिए कठिन था। वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के जीवन से बहुत प्रभावित थे। एक बार उन्हें पता चला कि एक पड़ोसी के पास जॉर्ज वॉशिंगटन की जीवनी है। उन्हें हिचक हुई, किंतु पड़ोसी ने उनकी रुचि देखते हुए पुस्तक दे दी। लिंकन ने उसे जल्दी ही लौटाने का वादा किया। लिंकन के घर में वह किताब बारिश के पानी में भीग गई। लिंकन पड़ोसी के पास जाकर बोले - मुझसे आपकी पुस्तक खराब हो गई है, किंतु मैं आपको पुस्तक नई लाकर दूंगा। पड़ोसी ने उनकी गरीबी को देखते हुए पूछा, कैसे दोगे? लिंकन बोले- मैं आपके खेत में मजदूरी कर पुस्तक के दोगुने दाम का काम कर दूंगा। पड़ोसी मान गया। लिंकन ने काम कर पुस्तक के दाम की भरपाई कर दी और वॉशिंगटन की जीवनी उन्हीं की संपत्ति हो गई।

अब्राहम लिंकन ने अपने बेटे के शिक्षक को जो पत्र लिखा उसे समय निकालकर कभी ज़रूर पढ़ें। पत्र का हिन्दी अनुवाद पढ़ने के लिए क्लिक करें

राजस्थान पत्रिका के कॉलम मी नेक्स्ट में प्रकाशित

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...