Friday, November 27, 2015

मैग्सेसे पुरस्कार किसके नाम पर दिया जाता है?

रैमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना 1957 में हुई. इसका नामकरण फिलिपींस के राष्ट्रपति रैमन मैग्सेसे के नाम पर हुआ, जिनकी 1957 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. इनका नाम स्थानीय भाषा में मैगसायसाय है, जो हिन्दी में मैग्सेसे प्रचलित है. यह पुरस्कार प्रतिवर्ष मैग्सेसे जयंती पर 31 अगस्त को लोक सेवा, सामुदायिक सेवा, पत्रकारिता, साहित्य तथा सृजनात्मक कला और अंतर्राष्ट्रीय सूझबूझ के लिए प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार ग़ैर एशियायी संगठनों, संस्थानों को भी एशिया के हित में कार्य करने के लिए दिया जा सकता है. भारत के विनोबा भावे, मदर टेरेसा, सत्यजित रॉय, वर्गीज कुरियन, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, एमएस स्वामीनाथन, चंडी प्रसाद भट्ट, बाबा आम्टे, अरुण शौरी, टीएन शेषन, महाश्वेता देवी, अरविन्द केजरीवाल, किरन बेदी, जेएम लिंग्दोह जैसे अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों को मिल चुका है. 

हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण गुरु कौन थे?

कृष्ण ने मथुरा में गर्गिमुनी से गायत्री मन्त्र एवं संदीपन मुनि से वैदिक कला और विज्ञान सीखा. उनके तेजस्वी गुरु संदीपन ऋषि थे. श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने के पश्चात मथुरा का समस्त राज्य अपने नाना उग्रसेन को सौंप दिया था. इसके बाद वासुदेव और देवकी ने कृष्ण को यज्ञोपवीत संस्कार के लिए संदीपन ऋषि के आश्रम में भेज दिया, जहाँ उन्होंने चौंसठ दिनों में चौंसठ कलाएँ सीखीं. संदीपन ऋषि के आश्रम में ही कृष्ण और सुदामा की भेंट हुई थी, जो बाद में अटूट मित्रता बन गई. संदीपन ऋषि द्वारा कृष्ण और बलराम ने अपनी शिक्षाएँ पूर्ण की थीं. आश्रम में कृष्ण-बलराम और सुदामा ने एक साथ वेद-पुराण का अध्ययन प्राप्त किया था. दीक्षा के उपरांत कृष्ण ने गुरुमाता को गुरु दक्षिणा देने की बात कही. इस पर गुरुमाता ने कृष्ण को अद्वितीय मान कर गुरु दक्षिणा में उनका पुत्र वापस माँगा, जो प्रभास क्षेत्र में जल में डूबकर मर गया था. गुरुमाता की आज्ञा का पालन करते हुए कृष्ण ने समुद्र में मौजूद शंखासुर नामक एक राक्षस का पेट चीरकर एक शंख निकाला, जिसे "पांचजन्य" कहा जाता है. इसके बाद वे यमराज के पास गए और संदीपन ऋषि का पुत्र वापस लाकर गुरुमाता को सौंप दिया.

जेट लैग क्या होता है?
जेट लैग एक मनो-शारीरिक दशा है, जो शरीर के सर्केडियन रिद्म में बदलाव आने के कारण पैदा होती है. इसे सर्केडियन रिद्म स्लीप डिसॉर्डर भी कहते हैं. इसका कारण लम्बी दूरी की हवाई यात्रा खासतौर से पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन की यात्रा होती है. अक्सर शुरुआत में नाइट शिफ्ट पर काम करने आए लोगों के साथ भी ऐसा होता है. आपका सामान्य जीवन एक खास समय के साथ जुड़ा होता है. जब उसमें मूलभूत बदलाव होता है तो शरीर कुछ समय के लिए सामंजस्य नहीं बैठा पाता. अक्सर दो-एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती है. इसमें सिर दर्द, चक्कर आना, उनींदा रहना, थकान जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है.

स्थगन प्रस्ताव क्या होता है? संसद क्यों, और एक दिन में कितनी बार स्थगित हो सकती है?

हमारी संसद के दोनों सदनों के नियमों में सार्वजनिक महत्त्व के मामले बिना देरी किए उठाने की कई व्यवस्थाएं हैं, इनमें कार्य स्थगन प्रस्ताव भी है. इसके द्वारा लोक सभा के नियमित काम-काज को रोककर तत्काल महत्त्वपूर्ण मामले पर चर्चा कराई जा सकती है. इसके अलावा कई और तरीके हैं जैसे कि ध्यानाकर्षण, आपातकालीन चर्चाएं, विशेष उल्लेख, प्रस्‍ताव (मोशन), संकल्प, अविश्वास प्रस्‍ताव, निंदा प्रस्‍ताव वगैरह. अगला सवाल है कि दिन में कितनी बार सदन स्थगित हो सकता है? यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है.

संसद की कार्यवाही में किसी भाषण के समय कुछ चीजें रिकॉर्ड से बाहर क्यों कर दी जाती है?

यह संसद का अधिकार है कि वह कुछ खास शब्दों, अभिव्यक्तियों, विचारों या घटनाओं को आधिकारिक दस्तावेजों में नहीं रखना चाहती तो उसे रिकार्ड से बाहर कर दे. इस अधिकार का इस्तेमाल सामान्यतः पीठासीन अधिकारी के माध्यम से होता है.

चेक बाउंस होने पर ज़ुर्माना क्यों लगता है? क्या यह फाइन हर बार एक सा रहता है?

आपका आशय बैंक के फाइन से है. यह शुल्क तो बैंक इसलिए लेता है, क्योंकि वह उसे क्लियरिंग तक भेजता है और उसपर धनराशि नहीं मिलता. यह राशि अलग-अलग बैंक अलग-अलग लेते हैं. यों बार-बार यह गलती होने पर बैंक आपकी चेकबुक सुविधा वापस ले सकते हैं और खाता बंद भी कर सकते हैं. चेक बाउंस होने के अनेक कारण हो सकते हैं. मसलन खाते में पैसा नहीं है, तारीख गलत लिख दी गई है, खातेदार के हस्ताक्षर नहीं मिलते वगैरह. अलबत्ता जिसने यह चेक दिया है उसकी जिम्मेदारी है कि भुगतान करे. यदि वह चेक में बताई गई राशि का भुगतान नहीं करता तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है जिसपर उसे सजा या जुर्माना कुछ भी हो सकता है. 

Thursday, November 19, 2015

किसी दवा की एक्सपायरी डेट कैसे तय होती है?

किसी भी दवा की समय सीमा एक वैज्ञानिक पद्धति से तय की जाती है. इन दवाइयों को सामान्य से कठिन परिस्थितियों में रखा जाता है जैसे 75 आरएच से अधिक आर्द्रता या 40 डिग्री से अधिक तापमान. फिर हर महीने या हर हफ़्ते उनकी प्रभावशीलता की जांच की जाती है. इसी आधार पर यह तय किया जाता है कि अमुक दवा की समय सीमा डेढ़ साल हो, दो साल या तीन साल. जब दवा बाज़ार में आ जाती है तो फिर उसका अध्ययन किया जाता है और उसकी प्रभावशीलता के अनुसार ही उसकी समय सीमा बढ़ाई जाती है.
भारी पानी (हैवी वॉटर) क्या होता है?
भारी पानी भी पानी है, पर खास तरह का. पानी की रासायनिक संरचना हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक परमाणु के मिलने से होती है. इसे कहते हैं एच2ओ. पर भारी पानी को कहते हैं डी2ओ. इसमें डी है हाइड्रोजन का आइसोटोप (समस्थानिक) ड्यूडीरियम. हाइड्रोजन के तीन प्रकार के आइसोटोप होते हैं. एक, प्रोटीयम, जो सामान्य पानी में होता है. इसे लाइट हाइड्रोजन कहते हैं. दूसरा है ड्यूटीरियम, जिसे भारी हाइड्रोजन कहते हैं और तीसरा है टाइरियम. भारी पानी को ड्यूटीरियम ऑक्साइड के नाम से भी जाना जाता है. इसी तरह ऑक्सीजन के भी तीन प्रकार के समस्थानिक या आइसोटोप होते हैं. इनके मिलने से सोलह प्रकार के पानी बनते हैं. सामान्यत: हम जिस पानी का इस्तेमाल करते हैं, उसमें भी भारी पानी हो सकता है, पर उसकी मात्रा बहुत कम होती है. एक टन में तकरीबन डेढ़ सौ ग्राम. आम पानी और भारी पानी के भौतिक और रासायनिक गुणधर्मों में काफी समानता है, लेकिन नाभिकीय गुणधर्मों में काफी फर्क है. भारी पानी के गुणधर्म इसे नाभिकीय रिएक्टर में मंदक यानी कूलेंट के रूप में उपयोगी बनाते हैं. कूलेंट के रूप में हल्के पानी के अलावा बेरीलियम और भारी पानी का इस्तेमाल होता है. भारी पानी इनमें सबसे बेहतर है.

ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) की ओपनिंग धुन किस संगीतकार ने बनाई और कब?
इस बारे में कई तरह की बातें हैं. कुछ लोगों की मान्यता है कि इसे ठाकुर बलवंत सिंह ने बनाया. कुछ मानते हैं कि पं रविशंकर ने इसकी रचना की और कुछ लोग वॉयलिन वादक वीजी जोग को इसका रचेता मानते हैं. सम्भव है इसमें इन सबका योगदान हो, पर इसकी रचना का श्रेय चेकोस्लोवाकिया के बोहीमिया इलाके के संगीतकार वॉल्टर कॉफमैन को जाता है. इसकी रचना तीस के दशक में हुई होगी. कम से कम 1936 से यह अस्तित्व में है. वॉल्टर कॉफमैन उस वक्त मुम्बई में ऑल इंडिया रेडियो के पश्चिमी संगीत विभाग में कम्पोज़र का काम कर रहे थे. इस धुन में तानपूरा, वायोला और वॉयलिन का इस्तेमाल हुआ है. वॉल्टर कॉफमैन को यूरोप की राजनीतिक स्थितियों के कारण घर से बाहर आना पड़ा. वे अंतत: अमेरिका में बसे, पर भारत में भी रहे और यहाँ के संगीत का उन्होंने अध्ययन किया. कहा जाता है कि उनके एक सोनाटा यानी बंदिश या रचना में यह धुन भी थी. कॉफमैन ने इसमें कुछ बदलाव भी किया. इस रचना में वॉयलिन ज़ुबिन मेहता के पिता मेहली मेहता ने बजाया है. कुछ लोगों का कहना है कि यह राग शिवरंजिनी में निबद्ध है.

पुनर्विचार याचिका क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 137 और 145 के तहत अपीलीय अदालतों यानी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के बारे में कोई पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है. यह याचिका अदालत के निर्णय के बाद तीस दिन के भीतर दाखिल की जानी चाहिए. पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद भी वह पक्ष उपचार याचिका या क्यूरेटिव पैटीशन दाखिल कर सकता है.

भारतीय शिल्प की नागर शैली क्या है?
हिन्दू शिल्प शास्त्र में कई तरह के शिखरों का विवरण मिलता है. इनमें नागर, द्रविड़ और वेसर प्रमुख हैं. नागर शैली आर्यावर्त की प्रतिनिधि शैली है जिसका प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है.

क्या हम अदालत में अपने मुकदमे की जिरह खुद कर सकते हैं?
हाँ आप जिरह कर सकते हैं. वकील की व्यवस्था आप की सहायता के लिए है. सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था है कि आप केवल अपने मामले की जिरह कर सकते हैं, किसी दूसरे की नहीं. उसके लिए वकील करना ही होगा. हाल में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने मामलों को अदालत के सामने रखने के लिए कुछ जरूरी निर्देश भी जारी किए हैं. यों जटिल मामलों में आपको वकील की जरूरत होगी. साथ ही आपको कानून और अदालती प्रक्रिया की समझ भी होनी चाहिए.

जेंडर स्टडीज़ क्या होती है?
जेंडर स्टडीज़ का सामान्य अर्थ लैंगिक मसलों का अध्ययन है. इसमें महिला और पुरुष दोनों का अध्ययन शामिल है, पर व्यावहारिक रूप से यह नारी विषयक अध्ययन है. इसमें कानून, राजनीति, साहित्य, समाज, संस्कृति, मनोविज्ञान, पारिवार जैसे तमाम मसले शामिल हैं. यह मल्टी डिसिप्लिनरी अध्ययन है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Tuesday, November 17, 2015

जाड़ों में स्वेटर या गर्म कपड़े पहनने पर हमें ठंड क्यों नहीं लगती है ?

ऊनी कपड़ों में गर्मी नहीं होती, बल्कि वे हमें सर्दी लगने से रोकते हैं। ऊनी या मोटे कपड़े तापमान के कुचालक होते हैं। यानी बाहर की सर्दी से वे ठंडे नहीं होते। हमारे शरीर की गर्मी हमें गर्म रखती है। यही बात गर्मी पर भी लागू होती है। आपने देखा होगा कि रेगिस्तानी इलाकों के लोग मोटे कपड़े पहनते हैं। इसका कारण यह है कि मोटे कपड़े गर्मी को भीतर आने नहीं देते।

वायुयान से पक्षियों के टकराने के कारण भयंकर दुर्घटना का खतरा होता है। जमीन से कितनी ऊँचाई तक पक्षी मिलते हैं?

वायुसेना के जो विमान दुर्घटना के शिकार होते हैं, उनमें से 9 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण पक्षियों से टकराना है। भारत में नागरिक विमानों से भी पक्षियों के टकराने की सालाना औसतन 200 घटनाएं होती हैं। सभी दुर्घटनाओं में विमान गिरते नहीं हैं। अक्सर मामूली नुकसान होता है। मानसून के मौसम में पक्षियों से टकराने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। बड़े विमानों को तो छोटे पक्षियों से सिर्फ कुछ नुकसान होता है लेकिन जिस तेज रफ्तार से लड़ाकू विमान उड़ान भरते हैं। उससे टकराने वाले छोटे पक्षी का आघात काफी जबर्दस्त होता है। आमतौर पर पक्षियों से टकराने की घटनाएं टेकऑफ और लैंडिंग के समय होती है क्योंकि ऊंचाई हासिल करने के बाद विमान जिस ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं वहां पक्षी नहीं होते। इसलिए हवाई अड्डे के चार-पाँच किलोमीटर के दायरे में खतरा ज्यादा होता है, खासतौर से ज़मीन से एक हज़ार फुट की ऊँचाई तक। वायुसेना ने पक्षियों की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं जिनमें एवियन रेडार लगाना, झाडियों को साफ करना, माइक्रो लाइट विमानों की मदद से पक्षियों पर निगरानी करना आदि शामिल हैं। एवियन रेडार के जरिए पक्षियों के झुंड पर तीन किमी. दूर से नजर रखी जा सकती है। यह वही दूरी है जो उड़ान भरते और उतरते विमानों के लिए काफी जोखिम भरी होती है। एवियन रेडार की सूचना के आधार पर पायलट को पूर्व सूचना दे कर सतर्क किया जा सकता है। अब हवाई अड्डों पर पक्षियों की आवाजें निकालने वाली मशीनें भी लगाई जा रही हैं। पक्षियों की आवाजों के अध्ययन से पता लगा है कि वे खतरे के मौके पर खास तरह का आवाज़ें निकालते हैं। उन आवाज़ों को हवा में छोड़ने पर पक्षी उस दिशा से विपरीत दिशा में उड़ना शुरू कर देते हैं। 




एक्साइज ड्यूटी क्या है? और यह किन-किन वस्तुओं पर लागू होती है? क्या यह कारीगर और मजदूरों पर लागू होती है?

एक्साइज़ ड्यूटी परोक्ष टैक्स है जो किसी उत्पाद को बनाने वाला सरकार को देता है। अंततः यह टैक्स माल को खरीदने वाले को देना होता है। दुनिया भर के देशों में यह टैक्स लगता है। कारीगरों और मजदूरों पर यह लागू नहीं होता। इसे उत्पाद शुल्क भी कहते हैं। किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाने का एक कारण एक्साइज ड्यूटी बढ़ना भी हो सकता है।


डेंगू शब्द कहाँ से आया?
हालांकि डेंगू शब्द का इस्तेमाल काफी होने लगा है, पर इस शब्द का सही उच्चारण डेंगी है। यह स्पष्ट नहीं है कि शब्द कहां से आया। कुछ लोगों का मानना है कि यह शब्द स्वाहीली भाषा के वाक्यांश का-डिंगा पेपो से आया है। यह वाक्यांश बुरी आत्माओं से होने वाली बीमारी के बारे में बताता है। माना जाता है कि स्वाहीली शब्द डिंगा स्पेनी के शब्द डेंगी से बना है। इस शब्द का अर्थ है "सावधान"। वह शब्द एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने के लिए उपयोग किया गया हो सकता है जो डेंगू बुखार के हड्डी के दर्द से पीड़ित हो; वह दर्द उस व्यक्ति को सावधानी के साथ चलने पर मजबूर करता होगा। यह भी संभव है कि स्पेनी शब्द स्वाहीली भाषा से आया हो। कुछ का मानना है कि "डेंगू" नाम वेस्ट इंडीज़ से आया है। वेस्ट इंडीज़ में, डेंगू से पीड़ित लोग डैंडी की तरह तनकर खड़े होने वाले और चलने वाले कहे जाते थे और इसी कारण से बीमारी को भी "डैंडी फीवर" कहा जाता था।


राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Monday, November 9, 2015

हरित क्रांति क्या है?

हरित क्रांति शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल युनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) के पूर्व डायरेक्टर विलियम गॉड ने सन 1968 में किया. पर इसकी अवधारणा यूरोप की औद्योगिक क्रांति के बाद खेती-बाड़ी के काम में विज्ञान और तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी है. बीसवीं सदी में दूसरे विश्व युद्ध के पहले ही अन्न उत्पादन की और दुनिया का ध्यान गया था. अलबत्ता दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जब विजयी अमेरिकी सेना जापान पहुंची तो उसके साथ कृषि अनुसंधान सेवा के सैसिल सैल्मन भी थे. उस समय सबका ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि जापान का पुनर्निर्माण कैसे हो. सैल्मन का ध्यान खेती पर था. उन्हें नोरिन-10 नाम की गेंहू की एक क़िस्म मिली जिसका पौधा कम ऊँचाई का होता था और दाना काफ़ी बड़ा होता था. सैल्मन ने इसे और शोध के लिए अमेरिका भेजा. तेरह साल के प्रयोगों के बाद 1959 में गेन्स नाम की क़िस्म तैयार हुई. अमेरिकी कृषि विज्ञानी नॉरमन बोरलॉग ने गेहूँ कि इस किस्म का मैक्सिको की सबसे अच्छी क़िस्म के साथ संकरण किया और एक नई क़िस्म निकाली.

उधर साठ के दशक में भारत में अनाज की उपज बढ़ाने की सख्त ज़रूरत थी. भारत को बोरलॉग और गेहूं की नोरिन क़िस्म का पता चला. भारत में आईआर-8 नाम का बीज लाया गया जिसे इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने विकसित किया था. पूसा के एक छोटे से खेत में इसे बोया गया और उसके अभूतपूर्व परिणाम निकले. 1965 में भारत के कृषि मंत्री थे सी सुब्रमण्यम. उन्होंने गेंहू की नई क़िस्म के 18 हज़ार टन बीज आयात किए, कृषि क्षेत्र में ज़रूरी सुधार लागू किए, कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को जानकारी उपलब्ध कराई, सिंचाई के लिए नहरें बनवाईं और कुंए खुदवाए, किसानों को दामों की गारंटी दी और अनाज को सुरक्षित रखने के लिए गोदाम बनवाए. देखते ही देखते भारत अपनी ज़रूरत से ज़्यादा अनाज पैदा करने लगा. बहरहाल नॉरमन बोरलॉग हरित क्रांति के प्रवर्तक माने जाते हैं लेकिन भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय सी सुब्रमण्यम को जाता है.

दिल्ली राज्य कब बना और उसके पहले मुख्यमंत्री कौन थे?

दिल्ली की स्थिति देश में सबसे अलग है. केन्द्र शासित क्षेत्र होते हुए भी इसकी विधानसभा है और इसके शासन प्रमुख मुख्यमंत्री होते हैं. दिल्ली में सबसे पहले विधानसभा 17 मार्च 1952 को बनी थी. उस समय यहाँ के पहले मुख्यमंत्री थे चौधरी ब्रह्म प्रकाश. राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1956 में इसे केन्द्र शासित क्षेत्र बना दिया और विधानसभा खत्म हो गई. इसके बाद 1991 में संविधान के 69 वें संशोधन के बाद 1993 में यहाँ विधानसभा की पुनर्स्थापना हुई. दिल्ली को नेशनल कैपिटल टैरीटरी बनाया गया. सन 1991 में भारतीय संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम पास हुआ जिसके अधीन दिल्ली को राज्य का दर्जा मिला. केवल क़ानून और व्यवस्था केंद्र सरकार के हाथों में रही. यह अधिनियम 1993 में लागू हुआ और विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी विजयी रही और पहले मुख्यमंत्री बने मदन लाल खुराना.

हमें छींक क्यों आती है.

छींक आमतौर पर तब आती है जब हमारी नाक के अंदर की झिल्ली, किसी बाहरी पदार्थ के घुस जाने से खुजलाती है. नाक से तुरंत हमारे मस्तिष्क को संदेश पहुंचता है और वह शरीर की मांसपेशियों को आदेश देता है कि इस पदार्थ को बाहर निकालें. जानते हैं छींक जैसी मामूली सी क्रिया में कितनी मांसपेशियां काम करती हैं....पेट, छाती, डायफ्राम, वाकतंतु, गले के पीछे और यहां तक कि आंखों की भी. ये सब मिलकर काम करते हैं और बाहरी पदार्थ निकाल दिया जाता है. कभी-कभी एक छींक से काम नहीं चलता तो कई छींके आती हैं. हाँ जब हमें जुकाम होता है तब छींकें इसलिए आती हैं क्योंकि जुकाम की वजह से हमारी नाक के भीतर की झिल्ली में सूजन आ जाती है और उससे ख़ुजलाहट होती है.

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों में सीधे बहस होती है. भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
भारत और अमेरिका दो भिन्न प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं वाले देश हैं. वहाँ राष्ट्रपति पद का चुनाव सीधे होता है. देश की दो मुख्य पार्टियों के प्रत्याशियों का चुनाव भी वोटर सीधे करते हैं. वहाँ हर स्तर पर सीधे बहस सम्भव है क्योंकि अक्सर दो प्रत्याशियों के बीच सीधे मुकाबला होता है. हमारे देश में संसद सदस्यों का सीधे चुनाव होता है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद का चुनाव सीधे जनता नहीं करती. पर यदि देश की प्रमुख पार्टियाँ अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित भी कर दें तो उसमें भी दिक्कत है. पार्टियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि दो व्यक्तियों के बीच बहस नहीं हो सकती.

फॉरेस्ट हिल नामक स्टेडियम किस खेल से सम्बंधित है?
फॉरेस्ट हिल न्यूयॉर्क सिटी के क्वींस बोरो का इलाका है. वहाँ है फॉरेस्ट हिल टेनिस स्टेडियम. विश्व प्रसिद्ध वेस्टसाइड टेनिस क्लब के पास अनेक स्टेडियम हैं उनमें यह भी एक है. सन 1923 में बना यह स्टेडियम कुछ साल पहले तक खस्ताहाल हो गया था. सन 1975 तक यहाँ अमेरिकी ओपन टेनिस प्रतियोगिता होती थी. हाल में इस स्टेडियम का जीर्णोद्धार किया गया है और अब यहाँ संगीत कार्यक्रम होने लगे हैं.
  

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Monday, November 2, 2015

फिटकरी भी क्या नमक की तरह समंदर से प्राप्त होती है?

फिटकरी एक प्रकार का खनिज है जो प्राकृतिक रूप में पत्थर की शक्ल में मिलता है। इस पत्थर को एल्युनाइट कहते हैं। इससे परिष्कृत फिटकरी तैयार की जाती है। नमक की तरह है, पर यह सेंधा नमक की तरह चट्टानों से मिलती है। यह एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका रासायनिक नाम है पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट। संसार को इसका ज्ञान तकरीबन पाँच सौ से ज्यादा वर्षों से है। इसे एलम भी कहते हैं। पोटाश एलम का इस्तेमाल रक्त में थक्का बनाने के लिए किया जाता है। इसीलिए दाढ़ी बनाने के बाद इसे चेहरे पर रगड़ते हैं ताकि छिले-कटे भाग ठीक हो जाएं। इसके कई तरह के औषधीय उपयोग हैं। 

आए दिन ‘ग्रीन टी’ के बारे में पढ़ने में आता है। ग्रीन टी क्या है?

काली चाय और हरी चाय एक ही पौधे की उपज हैं। दोनों ही कैमेलिया साइनेंसिस प्लांट से हासिल होती हैं। हम जिस चाय को आमतौर पर पीते हैं वह प्रोसेस्ड सीटीसी चाय है, जिसका मतलब है कट, टीर एंड कर्ल। इसमें चाय की पत्तियों को तोड़कर मशीन में डालकर सुखाया जाता है। इसे छलनियों की मदद से छानकर अलग-अलग साइज़ में एकत्र कर लिया जाता है, जिसके पैकेट बनाए जाते हैं। चाय की पत्ती को हलका सा क्रश करने और हवा में सूखने के लिए छोड़ने के कारण उनमें ऑक्सीकरण के कारण काला रंग आ जाता है जैसा सेबों को काटने के बाद हो जाता है। ग्रीन टी को इस ऑक्सीकरण से बचाने के लिए एक तो इसे कुचला नहीं जाता बल्कि साबुत पत्ती को हल्की भाप दी जाती है जिससे इनमें मौज़ूद वे एंजाइम खत्म हो जाते हैं, जिनके कारण पत्ती काली होती है। इसके बाद इन पत्तियों को सुखा लिया जाता है, जिससे वे हरे रंग की रह जाती है। काली चाय में कैफीन होती है, हरी चाय में वह नहीं होती। इन दो किस्मों के अलावा एक ऊलांग और एक सफेद चाय भी होती है। यों तो हर प्रकार की चाय शरीर के लिए लाभकर है, पर ग्रीन टी हृदय, दिमाग और पूरे शरीर के लिए लाभकर है। खासतौर से कैंसर को रोकती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर के क्षय को रोकते हैं, कोलेस्ट्रॉल कम करती है और शरीर के वज़न को संतुलित रखती है। इसमें फ्लुओराइड हड्डियों को स्वस्थ रखता है। हरी चाय आसानी से उपलब्ध है।

दूध की अपेक्षा दही खाना अधिक स्वास्थ्यवर्धक कहा जाता है। ऐसा क्यों?
दूध और दही दोनों कैल्शियम के प्रमुख स्रोत हैं। कैल्शियम दांतों और हड्डियों के लिए खासतौर से ज़रूरी है। दही में दूध के मुकाबले कई गुना ज्यादा कैल्शियम होता है। दूध में लैक्टोबैसीलियस होते हैं जो दही जमाते हैं और कई गुना ज्यादा हो जाते हैं। इससे दही में पाचन की शक्ति बढ़ जाती है। दही में प्रोटीन, लैक्टोज़, आयरन और फॉस्फोरस पाया जाता है, जो दूध की तुलना में ज्यादा होता है। इसमें विटैमिन बी6 और बी 12 और प्रोटीन ज्यादा होता है। दही बनने पर दूध की शर्करा एसिड का रूप ले लेती है। इससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है। त्वचा को कोमल और स्वस्थ बनाने में भी दही का उपयोग बेहतर है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिहाज से भी दही बेहतर है।

रॉकेट पश्चिम से पूरब की ओर ही क्यों छोड़ा जाता है ? 
राकेश जायसवाल, रायपुर धरती पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूमती है। जब अंतरिक्ष में भेजने के लिए रॉकेट को पूर्व की ओर भेजते हैं तब उसके वेग में धरती के घूमने का वेग भी शामिल हो जाता है। इससे ऊर्जा की बचत होती है और वह आसानी से पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को पार कर लेता है। 
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...