Sunday, September 11, 2016

लायंस क्लब क्या है?

लायंस क्लब की स्थापना 7 जून 1917 को अमेरिका में शिकागो के एक बिजनेसमैन मेल्विन जोन्स के प्रयास से हुई थी। मूलत: यह संस्था दूसरों की मदद के लिए सामुदायिक प्रयासों को बढ़ाने के लिए हुई थी। धीरे-धीरे यह अंतरराष्ट्रीय संस्था बन गई। आज इसकी 191 देशों में 44,500 के आसपास शाखाएं हैं। इसका नाम लायंस रखने के पीछे शेर की शक्ति, साहस और ओज को ध्यान में रखा गया था। यह नाम रखने के पहले बाकायदा मतदान किया गया था।
भारतीय संस्कृति में संख्या ‘सात’ का महत्व क्यों है?
ऋग्वेद में सप्तसिंधु का उल्लेख मिलता है। हमारी संस्कृति में सात के अलावा भी संख्याएं हैं। पंचभूत, षड्दर्शन, सप्त ऋषि, अष्ट धातु और नवग्रह से लेकर चौंसठ कलाओं तक हर संख्या का कोई न कोई विशेष महत्व है। सात का विवरण इस प्रकार है। हिन्दू विवाह में सप्तपदी का महत्व है। सात कदम मिलकर चलना। प्रत्येक कदम के साथ एक-एक मन्त्र बोला जाता है। पहला कदम अन्न के लिए, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पाँचवाँ परिवार के लिए, छठा ऋतुचर्या के लिए और सातवाँ मित्रता के लिए उठाया जाता है। विवाह होने के उपरान्त पति-पत्नी को मिलकर सात कार्यक्रम अपनाने पड़ते हैं। उनमें दोनों का उचित और न्याय संगत योगदान रहे, इसकी रूपरेखा सप्तपदी में निर्धारित की गई है। पूजा में जिस कलश की स्थापना की जाती है उसमें सात नदियों का पानी डाला जाता है। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु।
सप्त ऋषि हैं जो नक्षत्र के रूप में जगमगाते हैं। इनके नाम शतपथ ब्राह्मण के अनुसार हैं गौतम, भारद्वाज, विश्वमित्र, जमदग्नि, वसिष्ठ, कश्यप और अत्रि। महाभारत के अनुसार ये सात हैं मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलह, क्रतु, पुलस्त्य और वसिष्ठ। भू, भुव:, स्व:, मह:, जन, तप और सत्य नाम के सात लोक हैं। इसी तरह पृथ्वी पर सात द्वीप हैं जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप और पुष्करद्वीप। पुराणों के अनुसार मोक्षदायी नगर सात हैं-अयोध्या, मथुरा, माया(हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका(उज्जैन) और द्वारिका। सात पदार्थों का प्रात: दर्शन शुभ होता है। ये हैं गोरोचन, चंदन, स्वर्ण, शंख, मृदंग, दर्पण और मणि। सात नित्य क्रियाएं हैं शौच, दंतधावन, स्नान, ध्यान, भोजन, भजन और शयन। माता, पिता, गुरु, ईश्वर, सूर्य, अग्नि और अतिथि इन सातों का अभिवादन करना चाहिए।
 ई-बुक्स क्या हैं?
 ई-बुक्स (इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक) का अर्थ है डिजिटल रुप में पुस्तक। ई-पुस्तकें और पत्रिकाएं कागज पर छपी होने के बजाय डिजिटल फाइल के रुप में होती हैं। इन्हें पढ़ने के लिए ई-बुक रीडर्स या ई-बुक डिवाइसेज़ भी उपलब्ध हैं। इन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर भी पढ़ा जा सकता है। इन्हें इन्टरनेट पर भी छापा, बांटा या पढ़ा जा सकता है। इंटरनेट के मार्फत ई-बुक्स पढ़ने की सुविधा देने वाली व्यवस्थाओं में 1971 से चल रहा प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग सबसे अग्रणी है। ये पुस्तकें कई फाइल फॉर्मेट में होती हैं जिनमें पीडीऍफ (पोर्टेबल डॉक्यूमेण्ट फॉर्मेट), ऍक्सपीऍस आदि शामिल हैं, इनमें पीडीऍफ सर्वाधिक प्रचलित फॉर्मेट है। धीरे-धीरे पारंपरिक किताबों और पुस्तकालयों के स्थान पर पुस्तकों के नए रूप जैसे ऑडियो पुस्तकें, मोबाइल टेलीफोन पुस्तकें, ई-पुस्तकें आदि उपलब्ध हों रही हैं।

ई-पुस्तकों को पढ़ने के लिए उपकरण अलग से भी उपलब्ध हैं। इनमें अमेजन डॉट कॉम का किण्डल तथा ऐपल का आईपैड शामिल है। पाइ एक अन्य उपकरण है। नई-पुरानी किताबों सहित कई तरह की सामग्री इसमें ऑनलाइन स्टोर कर सकते हैं। मोबाइल के लिए एडोबी रीडर लाइट उपलब्ध है।
  
पहिया सबसे पहले कब और कहां बना ?

पहिए का विवरण मेसोपोटामिया, उत्तरी कॉकेशस, मध्य यूरोप, मिस्र से लेकर सिंध घाटी तक हर जगह मिलता है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि सबसे पहले यह कहाँ बना। ऐसा लगता है कि मनुष्य ने सबसे पहले लकड़ी के लट्ठों को लुढ़का कर उनके सहारे भारी चीजें खिसकाना सीखा। बाद में यही लट्ठा छोटा होकर पहिया बना।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

1 comment:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन - पुण्यतिथि ~ चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

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