Thursday, January 5, 2017

रेटिंग एजेंसियाँ क्या करती हैं?

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ किसी भी देशसंस्था या व्यक्ति की ऋण लेने या उसे चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन करती हैं. देशों की अर्थ-व्यवस्था की मजबूती और स्थिरता उनकी साख बढ़ाती है. देशों की रेटिंग करने वाली एजेंसियों में तीन बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां—फिचमूडीज़ और स्टैंडर्ड एंड पुअर हैं. इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पुअर. इसकी स्थापना 1860 में हेनरी पुअर ने की थी. देशों की आर्थिक स्थिति की मूल्यांकन करने के लिए ये एजेंसियां आंकड़ों और तथ्यों का इस्तेमाल करती हैं, जिनमें सरकार द्वारा दी गई रिपोर्टों और सूचनाओं आदि का इस्तेमाल किया जाता है. एजेंसियां उन बातों की जानकारी भी रखती हैं, जिनका पता सामान्य लोगों को नहीं होता. ये रेटिंग एएएबीबीबीसीएसीसीसीसीडी वगैरह के रूप में होती हैं. सामान्यतः सबसे अच्छी रेटिंग है एएए. अच्छे मूल्यांकन का अर्थ है कम ब्याज पर आसानी से क़र्ज़ या निवेश. ख़राब मूल्यांकन का मतलब है ऊंची दरों पर मुश्किल से क़र्ज़.
क्रिकेट में नेल्सन अंक माने क्या?
नेल्सन, डबल नेल्सन और ट्रिपल नेल्सन क्रिकेट में 111, 222 और 333 के स्कोर को कहते हैं. यह एक लोक प्रयोग हैं और इसे ब्रिटेन की नौसेना के अठारहवीं सदी के मशहूर एडमिरल लॉर्ड होरेशियो नेल्सन के नाम से जोड़ते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस बहादुर फौजी की एक आँख, एक हाथ और एक पैर लड़ाई में जाता रहा. यह तथ्य पूरी तरह सही नहीं है. उनकी एक आँख और एक हाथ वाली बात तक ठीक है, पर उनके दोनों पैर थे. बहरहाल नेल्सन स्कोर के साथ अंधविश्वास है कि इसपर विकेट गिरता है. हालांकि यह भी सच नहीं है. ‘द क्रिकेटर’ नाम की मशहूर मैगज़ीन ने पुराने स्कोर की पड़ताल की तो इन स्कोरों पर विकेट ज्यादा नहीं गिरे हैं. सबसे ज्यादा विकेट 0 के स्कोर पर गिरते हैं. बहरहाल प्रसिद्ध अम्पायर डेविड शेफर्ड ने नेल्सन स्कोर को प्रसिद्ध बनाया. वे इस स्कोर पर या तो एक पैर उठा देते थे या तब तक दोनों पैरों पर खड़े नहीं होते थे, जब तक स्कोर आगे न बढ़ जाए. वे उछलते रहते थे. नेल्सन स्कोर से मुकाबले ऑस्ट्रेलिया में 87 के स्कोर को लेकर अंधविश्वास है. 100 से 13 कम यानी 87 को खतरनाक माना जाता है. संयोग है कि ऑस्ट्रेलिया के काफी खिलाड़ी इस स्कोर पर आउट होते हैं.
सुपर कंप्यूटर क्या होता है
आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगा-फ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है. सुपर कंप्यूटर गति को फ्लॉप (फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस पर सेकंड) से नापते है. अब दुनिया में क्वॉड्रिलियन या पेटा-फ्लॉप (यानी एक हजार खरब) की गणना कर सकने में सुपर कंप्यूटर बन रहे हैं. सुपरकंप्यूटरों की शुरूआत साठ के दशक से मानी जा सकती है. अमेरिका के कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन के इंजीनियर सेमूर क्रे ने सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बनाया. बाद में क्रे ने अपनी कम्पनी क्रे रिसर्च बना ली. यह कम्पनी सुपर कंप्यूटर बनाने के क्षेत्र में एक दौर तक सबसे आगे थी. आज भी क्रे के अलावा आईबीएम और ह्यूलेट एंड पैकर्ड इस क्षेत्र में शीर्ष कम्पनियाँ हैं. पर हाल में जापान और चीन इस मामले में काफी तेजी से आगे बढ़े हैं.
सबसे तेज सुपर कंप्यूटर कहाँ है?
सुपर कंप्यूटर के मामले में स्थिति बदलती रहती है. नवंबर 2016 में जारी सूची के अनुसार चीन का ‘सनवे ताएहूलाइट’ (Sunway Taihulight) विश्व के सबसे तेज सुपर कंप्यूटरों की श्रेणी में पहले स्थान पर है. यह कंप्यूटर आठवीं बार शीर्ष पर रहा है. उधर जापान सुपर कंप्यूटर की श्रेणी में पहले स्थान पर आने की तैयारी कर रहा है. जापान सरकार ने नए सुपर कंप्यूटर के लिए 19.5 बिलियन जापानी येन (लगभग 173 मिलियन डॉलर) खर्च करने की योजना बनाई है. इस कंप्यूटर की क्षमता 130 पेटा फ्लॉप्स की होगी. चीन के सुपर कंप्यूटर की क्षमता 93 पेटा फ्लॉप्स की है. दुनिया के टॉप 500 सुपर कंप्यूटरों की सूची यहाँ देखें https://www.top500.org/lists/2016/11/
डीएवीपी क्या होता?
भारत सरकार के दृश्य-प्रचार का काम करने वाली यह संस्था है. इसका अंग्रेजी में पूरा नाम है डायरेक्टरेट ऑफ एडवर्टाइज़िंग एंड विज़ुअल पब्लिसिटी. भारत सरकार के सभी मंत्रालयों तथा कुछ स्वायत्त संस्थाओं के विज्ञापन और प्रचार का काम यह संस्था करती है. इसकी पृष्ठभूमि दूसरे विश्व युद्ध के बाद बन गई थी, जब भारत सरकार ने एक प्रेस एडवाइज़र की नियुक्ति की थी. उसके पास ही विज्ञापन की ज़िम्मेदारी आई. जून 1941 में उनके अधीन एडवर्टाइज़िंग कंसल्टेंट का पद बनाया गया. 1 मार्च 1942 से यह सूचना और प्रसारण विभाग की एक शाखा के रूप में काम करने लगा. 1 अक्टूबर 1955 से यह मंत्रालय से सीधे जुड़ गया और इसका यह नाम भी तभी मिला.
जुगनू क्यों चमकते हैं?
जुगनू एक प्रकार का उड़ने वाला कीड़ा है, जिसके पेट में रासायनिक क्रिया से रोशनी पैदा होती है। इसे बायोल्युमिनेसेंस कहते हैं। यह कोल्ड लाइट कही जाती है इसमें इंफ्रा रेड और अल्ट्रा वॉयलेट दोनों फ्रीक्वेंसी नहीं होतीं।
मच्छर भनभनाते क्यों हैं?
मच्छरों के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनके पंख होते हैं. इन पंखों को वे तेजी से फड़फड़ाते हैं. इस फड़फड़ाने से जो आवाज होती है, वही इनका भनभनाना है. हमारी साँस के साथ बाहर निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड इन्हें आकर्षित करती है. जब ये हमारे चेहरे के करीब आते हैं तब हमें इनकी भनभनाहट सुनाई पड़ती है.
हिचकी क्यों आती है?

हिचकी का कारण होता है अचानक डायफ्राम में ऐंठन आना. फेफड़ों में अचानक हवा भरने से कंठच्छद (एपिग्लॉटिस) बंद हो जाता है. इससे हिच या हिक् की आवाज आती है. इसीलिए इसे अंग्रेजी में हिक-अप कहते हैं. हिचकी आने की कई वजहें हैं. जल्दी-जल्दी खाना, बहुत गर्म या तीखा खाना, हँसना, खाँसना भी हिचकी का कारण बनता है. शराब पीने और धूम्रपान से भी आती है. इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस भी हिचकियाँ पैदा करता है. श्वसन पर रिसर्च करने वाले एक ग्रुप का कहना है कि मानव शरीर के विकास का एक लक्षण हिचकी है. 

2 comments:

  1. प्रमोद जी, Iblogger की तरफ से Best blogger of the month चुने जाने की बहुत बहुत बधाई। आप इसी तरह अग्रेसर रहे यही शुभकामनाएं....

    ReplyDelete
  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - हमारे बीच नहीं रहे बेहतरीन अभिनेता ~ ओम पुरी में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...